हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। हाथी गलियारा भूमि का एक संकीर्ण भाग होता है जो दो बड़े आवासों को आपस में जोड़ता है। बहुत से ऐसे गलियारे पहले ही किसी न किसी सरकारी एजेंसी जैसे वन या राजस्व विभाग के नियंत्रण में हैं। गलियारों में बड़ी वाणिज्यिक सम्पदाओं तथा अनाज या कृषि भूमि में अप्रयुक्त स्थानों को शामिल किया जा सकता है।
गलियारों की अवस्थिति के संबंध में
हाथी गलियारों के संबंध में विशिष्ट संरक्षण समाधान प्रस्तुत किये गए है, परंतु प्रत्येक क्षेत्र में वनावरण और गलियारों की संख्या के बीच व्युत्क्रम संबंधों को भी इंगित किया गया है। उदाहरण के तौर पर जिस क्षेत्र में अधिक से अधिक जंगलाच्छादित क्षेत्र हैं उसमें उसी के अनुपात में अधिक हाथी गलियारे अवस्थित हैं।इस प्रकार, गलियारों की सबसे अधिक संख्या उत्तरी-पश्चिमी बंगाल में स्थित है। यहाँ प्रत्येक 150 वर्ग किमी. के लिये हाथियों के आवास हेतु एक हाथी गलियारा मौजूद है। जिसके परिणामस्वरूप मानव-पशु संघर्ष की संख्या में बढ़ोतरी होती है। ध्यातव्य है कि यहाँ हर साल औसतन 48-50 लोग केवल मानव-पशु संघर्ष के कारण काल के ग्रास बनते हैं।
गलियारों का विकास
देश में कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर देश भर में इन गलियारों का अध्ययन किया है और इसके बाद कोई 88 गलियारों की पहचान की गई जिनका संरक्षण किए जाने की ज़रुरत है.हाथियों के आबादी में घुसने से फसलों का बहुत नुक़सान होता है देश के विभिन्न राज्यों में स्थित इन गलियारों को अब हाथियों के आवागमन के लिए संरक्षित करने की कोशिश की जा रही है.वाइल्ड लाइफ़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया से जुड़े संदीप बताते हैं, "कुछ जगह तो स्वयंसेवी संगठनों ने गलियारे की ज़मीन ख़रीदकर इसे विकसित कर राज्य सरकार के हवाले करने की शुरुआत की है."
भारत में हाथी गलियारे
हाथियों और मानव संघर्ष की बढ़ती समस्या के बाद भारत में अब कोशिश की जा रही है कि दो जंगलों के बीच एक गलियारा विकसित कर उसका संरक्षण किया जा सके। इससे हाथियों को जंगलों में ही रोकना संभव होगा और उनके आबादी वाले इलाकों में घुसने की घटनाओं में कमी आएगी।देश में हाथियों की आवाजाही के लिए 110 गलियारे हैं। इनमें से लगभग 70 फीसदी का नियमित रूप से हाथियों द्वारा इस्तेमाल होता है।इनमें से 29 फीसदी गलियारों पर इंसानों/इंसानी गतिविधियों का अतिक्रमण है। इसके अलावा 66 फीसदी गलियारे ऐसे हैं जिनसे होकर राजमार्ग गुजरते हैं। 22 फीसदी गलियारों से रेल की पटरियां गुजरती हैं।गौरतलब है कि हाथी गलियारा भूमि का एक संकीर्ण भाग होता है जो दो बड़े आवास क्षेत्रें को आपस में जोड़ता है। बहुत से ऐसे गलियारे पहले ही किसी न किसी सरकारी एजेंसी जैसे वन या राजस्व विभाग के नियंत्रण में हैं।गलियारों में बड़ी वाणिज्यिक सम्पदाओं तथा अनाज या कृषि भूमि में अप्रयुक्त स्थानों को शामिल किया जा सकता है।वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 और भारतीय वन अधिनियम 1927 के प्रावधानों के तहत ही इन हाथी गलियारों को चिन्हित किया जाता है।
हाथियों की बढ़ती समस्या के बाद भारत में अब कोशिश की जा रही है कि दो जंगलों के बीच एक गलियारा विकसित कर उसका संरक्षण किया जा सके.विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे हाथियों को जंगलों में ही रोकना संभव होगा और उनके आबादी वाले इलाक़ों में घुसने की घटनाओं में कमी आएगी.भारत में ऐसे 88 गलियारों की पहचान की गई है और उन पर कुछ स्वयंसेवी संस्थाएँ सरकार के साथ मिलकर काम कर रही हैं.