जेलिफिश एक प्रकार की मछली होती है। दुनियाभर में जेलिफिश की 1500 से भी ज्यादा प्रजातियां हैं। यह दिखने में पारदर्शी होती हैं, लेकिन इंसानों के लिए यह बेहद ही खतरनाक भी होती हैं। इनके डंक से कोई भी इंसान पलभर में मौत की नींद सो सकता है।जेली मछली सीलेन्टरेटा समुदाय का प्राणी है। इस बहुकोशकीय समुद्री प्राणी का शरीर देखने में छाते जैसा लगता है। इसके शरीर के अधर भाग के मध्य में मुँह और मुँह के साथ चार ओरल भुजा पायी जाती हैं।जेलीफ़िश हर समुद्र में, सतह से समुद्र की गहराई तक पाए जाते हैं।
जेली फिश की मुख्य विशेषता
एक जेलिफ़िश में खुद को क्लोन करके चोट से निपटने की एक अजीब क्षमता होती है। एक जेलीफ़िश में खुद को पुनर्जीवित करने की क्षमता होती है। जब इसे दो भागों में काटा जाता है तब उस दोनों कटे हुए भाग से 2 नए जेलिफ़िश पैदा हो जाते हैं।कुछ प्रजातियों का जीवन काल प्लास्टिक के समान होता है, यानि कि वो कभी नहीं मरतीं। धरती की ये एकमात्र ऐसी बहुकोशिकीय जीव हैं जो अमर होती हैं। जेलिफ़िश की इस अमर प्रजाति का नाम। जेलिफ़िश जिस मुंह से भोजन करती हैं उसी मुंह से मल का त्याग भी करती हैं। इनकी ये विशेषता इन्हें बाकी के अन्य जीवों से बिलकुल ही अलग करती है।
जेलिफ़िश एक जहरीला जीव है
जेलिफ़िश की कुछ प्रजातियाँ अत्यंत ही जहरीली होती हैं। इनके tentacles में बहुत विषैले असंख्य स्टिंग्स होते हैं। शिकार को पकड़ने के लिए या फिर किसी अन्य जीव से अपनी सुरक्षा के मद्देनजर जेलिफ़िश इन असंख्य स्टिंग्स से उस जीव को डंक मारकर अचेत कर देती हैं। इनका विष इतना घातक होता है कि एक सामान्य मनुष्य उनके डंक से कुछ देर में ही दम तोड़ सकता है।जेलीफिश मृत होने पर भी सक्रिय रूप से डंक मार सकती हैं और यही उन्हें धरती का सबसे घातक जीव बनाता है।सन 2010 में न्यू हैम्पशायर के वालिस सैंड्स स्टेट पार्क में लगभग 150 तैराकों को मृत जेलीफ़िश के डंक लगने की वजह से पानी से बाहर निकाला गया था।
जेलिफ़िश के गुणसूत्र
जेलिफ़िश के गुणसूत्र में कुछ ऐसे अति विशिष्ट जीन्स हैं जो उसके जैविक अमरता के लिए उत्तरदायी हैं। जीन्स के बारे में एक खास बात यह है कि जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा एक जीव के जीन्स को दुसरे जीव के गुणसूत्र में डाला जा सकता है।इसी जेनेटिक इंजीनियरिंग की वजह से वैज्ञानिक अपने प्रयोगशाला में नई किस्म की सब्जियां या पौधे इत्यादि बना रहे हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा कुत्तों की अलग-अलग नस्लें पैदा की जा रही हैं।अभी तक वैज्ञानिकों को जेलिफ़िश के इस अति विशिष्ट जीन्स के बारे में पता नहीं चल पाया है। और हमारा विज्ञान अभी तक इतना सक्षम भी नहीं हो पाया है कि उस अति विशीष्ट जीन्स का पता चल जाने पर उसे जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा हम मनुष्यों के गुणसूत्र में डाल सके।लेकिन ऐसा करना असंभव भी नहीं है। जिस किसी भी दिन विज्ञान ने ये क्षमता हासिल कर ली उस दिन से मानव भी जेलिफ़िश की भांति एक अमर प्राणी हो जायेगा।
जेलिफ़िश असुरक्षित महसूस करने पर एक जैव-रासायनिक चमक बिखेरती है। यह समुद्र में खतरे या शिकारियों के खिलाफ उनके चेतावनी स्वरुप संकेत होता है।कुछ जेलिफ़िश की प्रजातियाँ दूसरी जेलिफ़िश को खा जाती हैं।